कोयले में कितनी कालिख
भ्रष्टाचार, महंगाई और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिर रही छवि से परेशान संप्रग सरकार की बची खुची साख को कैग रिपोर्ट ने ’कोयले की कालिख’ में दफन कर दिया। प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा इस मामले को लेकर संसद चलने नहीं दे रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों इस मामले में अपने दामन पाक बता रहे हैं और दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं। ’कोलगेट’ मसले पर भाजपा प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ी है जबकि प्रधानमंत्री ने कहा कि वे इस्तीफा नहीं देंगे।
कोल ब्लॉक
वह जमीन जहां से माइनिंग के जरिए कोयला निकाला जा सकता है। इन खदानों में राज्यों की हिस्सेदारी होती है। खनन को लेकर केंद्र सरकार राज्यों से करार करती है।
आवंटन
पहले कोयला निकालने का काम सरकारी कंपनियां ही करती थीं। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधार लागू होने के बाद इसमें निजी कंपनियों को इस शर्त के साथ शामिल किया गया कि ब्लाॅक से निकाले गए कोयले का एक तय प्रतिशत केंद्र और राज्यों को दिया जाएगा। आबंटन के लिए ’पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति अपनाई गई। 2004 में यूपीए सरकार ने नीलामी के जरिए आबंटन की नीति बनाई लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका।
वर्तमान मसला
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का पर्दाफाश करने के करीब 16 महीने बाद नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने संसद में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में कोयला ब्लाॅक में की गयी धांधली से पर्दा उठाया। रिपोर्ट के अनुसार कोयला ब्लाॅकों को प्रतिस्पर्धी बोलियों के बजाय सामान्य आवेदन के आधार पर बाजार भाव को नजरअंदाज करते हुए आबंटित किया गया। अगर बाजार भाव के हिसाब से कोल ब्लाॅक दिए जाते तो सरकार को करीब 1.86 लाख करोड़ की और आमदनी हो सकती थी। कैग के अनुसार 31 मार्च 2011 तक कुल 194 कोल ब्लाॅक बिना नीलामी के आबंटित किए गए जिसमें से 57 निजी कंपनियों को मिले। 2004 से 2009 तक करीब 44 अरब टन कोयला बहुत कम दामों पर दिया गया। जिससे करीब 10 लाख करोड का कुल घाटा हुआ। कोयला खदानों में हुए बंदरबांट से हुए नुकसान की यह रकम 2जी घोटाले की रकम से 6 गुना अधिक है।
कोल ब्लाॅक की नीलामी से सरकार को जो धन मिलता उससे आबादी के 28 फीसदी गरीबों तक अन्न पहुंचाया जा सकता था। देश को चलाने के लिए हर साल करीब 13 लाख करोड़ रूप्ए की जरूरत होती है जबकि सरकार की आमदनी केवल 8 से 9 लाख करोड़ रूप्ए की है। सही तरीके से आबंटन किए जाने से आमदनी में करीब दो लाख करोड़ का इजाफा होता। कैग ने नुकसान का आकलन करते समय सबसे घटिया श्रेणी के कोयले की कीमत को आधार बनाया है।
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कोयला मंत्रालय के सचिव की 2004 में की गई उस सिफारिश को नजरअंदाज किया गया जिसमें प्रतिस्पर्धी बोलियों के जरिए खदानों के आबंटन की सिफारिश की गयी थी।
जिन निजी कंपनियों को लाभ पहुंचा उनमें टाटा ग्रुप, जिंदल स्टील एंेड पाॅवर लिमिटेड, अनिल अग्रवाल गुप फम्र्स, आदित्य बिड़ला ग्रुप कंपनीज, एस्सार ग्रुप पावर वेंचर्स, अदानी ग्रुप, आर्सेलर मित्तल इंडिया, लैंको जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
सीएजी रिपोर्ट में जिस अवधि के दौरान कोयला आबंटन में गड़बड़झाले की बात कही गयी है तब कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के ही पास था।
संसद में घमासान
संसद में रिपोर्ट पेश होने के बाद सदन की कार्यवाही लगातार बाधित रही। सदन में ’प्रधानमंत्री गद्दी छोड़ो, प्रधानमंत्री इस्तीफा दो’ जैसे नारे गूंजते रहे। संसद में विपक्ष के जबरदस्त विरोध ने जनता तक यह संदेश पहुंचाया कि ’ईमानदान प्रधानमंत्री’ पर भी उंगली उठ चुकी है। संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने चर्चा की पेशकश की लेकिन उनकी एक न सुनी गयी।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी है। हालांकि राजग का घटक जदयू और अकाली दल संसद में बहस चाहते हैं। जदयू अध्यक्ष शरद यादव को लगता है कि प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगना श्अतिरेकश् है। अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा है कि सदन में इस पूरे मसले पर चर्चा की जानी चाहिए। सपा ने जहां चर्चा का समर्थन किया वहीं बसपा तटस्थ रही। सीपीएम ने इस मामले में जेपीसी के गठन की मांग की है। संसद में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मुलाकात की लेकिन भाजपा प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम पर राजी नहीं हुई।
भाजपा के रूख पर अंबिका सोनी ने कहा कि बीजेपी को प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग करने की बजाए सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए।श्
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने सांसदों से कहाए श्हमें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं। बीजेपी का रवैया गलत हैए हमें भी कड़ा रुख अख्तियार करना होगा।श्
प्रधानमंत्री
इस मसले पर प्रधानमंत्री ने लोकसभा में अपना बयान दिया। प्रधानमंत्री के बयान पढ़ने के पूरे समय लोकसभा में भारी शोर शराबा होता रहा लेकिन प्रधानमंत्री चुप नहीं हुए और उन्होंने अपना पूरा बयान पढ़ा। उनका कहना था, ‘मैं संसद के सदस्यों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि इस कार्यालय के प्रभारी के तहत मैं पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं मंत्रालय के फैसलों की।‘ संसद से बाहर प्रधानमंत्री ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं देश को ये आश्वासन देना चाहता हूं कि हमारा पक्ष बिल्कुल सही है। कैग की रिपोर्ट विवादास्पद है और जब ये रिपोर्ट संसदीय लेखा समिति के सामने आएगी तो हम उसे चुनौती देंगे। हम विपक्ष से आग्रह करते हैं कि संसद चलने दें ताकि जनता ये फैसला करे कि कौन सही है और कौन ग़लत।‘
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरा रवैय्या यही रहा है कि मैं आधारहीन बार बार लगाए जा रहे आरोपों पर नहीं बोलता हूं। मेरा रुख रहा है कि हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरु रखती है।‘
मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं पूरे देश के सामने, संसद के सामने अपना पक्ष रखना चाहता था। मुझे दुख है कि विपक्ष ने मुझे अपनी बात नहीं रखने दी।"
मैं इस्तीफा नहीं दूंगा
गुट निरपेक्ष आंदोलन की बैठक में भाग लेकर तेहरान से स्वदेश लौटते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा पर भ्रामक राजनीति करने और असल मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली रणनीति अख्तियार करने का आरोप लगाया। उनका साफ कहना था कि जैसा भाजपा चाह रही है, वैसा वह नहीं करने जा रहे हैं। वह इस्तीफा नहीं देंगे।
प्रधानमंत्री का कहना था, ‘मुझे प्रधानमंत्री पद की गरिमा को बनाए रखना है। मैं नेताओं से ‘तू,तू’ ‘मैं,मैं’ या अशिष्ट भाषा में बात नहीं करने वाला शख्स हूं। इससे यही बेहतर है कि मैं चुप रहूं।‘
भाजपा
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आरोप लगाया कि कोयला ब्लॉक के आवंटन में जो भ्रष्टाचार हुआ है, इससे जो पैसा आया है वो कांग्रेस पार्टी को गया है सरकार को गया है।
इधर संसद के मानसून सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने के संशय के बीच भाजपा ने कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह एनडीए की लड़ाई है, लेकिन जरूरत पड़ी तो वह अकेले ही इसे आगे बढ़ाएगी।
सरकार
सरकार ने सीएजी की गणनाओं को गुमराह करने वाला और गलत बताया है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी के अनुसार, ‘मैं इसके गुण दोषों पर कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि दुर्भाग्य से संविधान के तहत सीएजी को अधिकार मिले हैं। मेरे अनुसारए सीएजी अपने दायरे में रह काम नहीं कर रहा है। वहीं सीएजी का कहना है कि उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं उठाए हैं बल्कि उन्हें लागू करने में हो रही चूकों और खामियों की बात कही है।
टीम अन्ना
टीम अन्ना का आरोप है कि कोयला आवंटन मामले में हुए भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों समान रुप से ज़िम्मेदार हैं। उन भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों
की भी पूरी ज़िम्मेदारी है जिनके राज्यों में घोटाले सामने आए हैं।
मुलायम का दांव
मुलायम ने गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी दलों को एक जगह लाने की मुहिम शुरू कर दी है। एसपी प्रमुख मुलायम सिंह ने कहा, ‘हमारी पार्टी ने सीपीआई, सीपीएम और टीडीए के साथ मिलकर इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज से जांच कराने की मांग को लेकर संसद के सामने धरना देने का फैसला किया है।‘
सीपीआई नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि कैग एक संवैधानिक संस्था है और इसका काम सरकार के कामकाज पर निगरानी रखना है। दासगुप्ता ने कहा, हमारी तीन संवैधानिक संस्थाए हैं, कैग, सीवीसी और निर्वाचन आयोग। प्रधानमंत्री को इन संस्थाओं के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है।
सीपीएम नेता बासुदेव आचार्य ने कहा, यह मैच फिक्सिंग है क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी इस मुद्दे पर एक हैं। दोनों ही सदन में बहस नहीं चाहती।‘
दिग्विजय
दिग्विजय ने कहा है कि पूर्व सीएजी टीएन चतुर्वेदी की तरह विनोद राय की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, इसीलिए वह कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। गौरतलब है कि जब सीएजी ने बोफोर्स तोप सौदे में राजीव गांधी की सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली रिपोर्ट जारी की थी, तो सीएजी की कमान टीएन चतुर्वेदी के हाथ में थी। रिटायरमेंट के बाद टीएन चतुर्वेदी बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी के सांसद व कर्नाटक के गवर्नर भी बने।
दिग्विजय शायद यह भूल गए कि उनकी पार्टी ने पूर्व चुनाव आयुक्त एमएस गिल को राज्यसभा पहुंचाया और वह यूपीए सरकार में खेल मंत्री भी बने।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सीएजी का काम जांच करना नहीं है। उसे सिर्फ ऑडिट करना चाहिए।
कांग्रेस को कोयला घोटाले में मोटा माल मिलने की सुषमा स्वराज की टिप्पणी पर दिग्विजय ने कहा कि पहले सुषमा यह बताएं कि उन्हें रेड्डी ब्रदर्स से क्या मिला है? दिग्विजय सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी पूछा है कि उन्हें अपने कारोबारी दोस्त अजय संचेती से क्या मिला है?
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असम की आंच से सहमा देश
उपद्रवों और अफवाहों ने देश की
शान्ति भंग कर
दी है। जहां
एक ओर असम
में छिटपुट हिंसा जारी
है वहीं असम
व म्यांमार में मुसलमानों पर ज्यादतियों के विरोध
में देश के
विभिन्न इलाकों में हुए
उपद्रवों ने शान्ति में खलल
डाल दिया है।
असम
असम से फिर
हिंसा की खबर
आई है। ताजा
घटनाक्रम में असम
के बक्शा जिले
में एक व्यक्ति पर हमला हुआ
और उसके वाहन
को जला दिया
गया। बदले में
लोगों ने एक
पुल को आग
के हवाले कर
दिया। भीड ने
कई बसों और
पुलों को आगे
के हवाले कर
दिया। यह हिंसा
उस हमले के
दो दिन बाद
भड़की जिसमें चार संदिग्ध उग्रवादियों ने चिरांग जिले में असम
भूटान बाॅर्डर के करीब
चार मजदूरों को गोली
से भून दिया
था।
असम के बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद क्षेत्रों में 20 जुलाई से जारी
हिंसा में 80 से ज्यादा लोगों की मौत
हो चुकी है।
तीन लाख से
अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। इन
दंगों के बाद
हजारों परिवार 64 शरणार्थी शिविरों में शरण
लिए हुए हैं।
इन शरणार्थियों में बोडो
और मुसलमान दोनों शामिल
हैं।
19 जुलाई को कोकराझाड़ जिले में मुस्लिम समुदाय के दो
छात्र नेताओं पर अज्ञात लोगों ने गोली
चलाई। जवाबी हमले
में बोडो लिबरेशन टाइगर्स संगठन के
चार पूर्व सदस्य
मारे गए। इस
घटना के बाद
कोकराझाड़ जिले में
जो हिंसा शुरू
हुई थी उसकी
चपेट में आज
पूरा बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद है।
20 जुलाई से
शुरू हुई हिंसा
में कोकराझार में 12 और
चिरांग में पांच
लोग मारे गए।
पुलिस का कहना
था कि चिरांग जिले के हसारो
बाजार इलाके में
अज्ञात लोगों ने
12 जुलाई की शाम
को तीन लोगों
को मार दिया
और इसी जिले
के बिजनी शहर
में एक गिरोह
ने दो लोगों
को गोली मारकर
हत्या कर दी।
24 अगस्त को हिंसा
बोंगई गांव जिले
में भी फैल
गई। कोकराझाड़ के हिंसाग्रस्त इलाकों में प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते
ही गोली मारने
के आदेश दे
रखे हैं और
अनिश्चितकालीन कफ्र्यू जारी है।
जबकि चिरांग और ढूबी
जिले में रात
का कफ्र्यू लगाया गया।
बीटीसी के मुख्य
कार्यकारी पार्षद हाग्रामा मोहिलारी ने राज्य
सरकार पर आरोप
लगाया कि उसने
समय पर सुरक्षा बल मुहैया नहीं कराया
जिसके कारण हिंसा
को काबू करने
में देरी हुई।
स्वायत्तशासी बीटीसी इलाके में
कानून और व्यवस्था राज्य सरकार का
दायित्व है।
पुराना तनाव
बीटीसी इलाके में
तनाव कोई एक
दिन में नहीं
फैला है। तनाव
का कारण है
बीटीसी में रहने
वाले गैर बोडो
समुदायों का खुलकर
बोडो समुदाय द्वारा की जाने
वाली अलग बोडोलैंड राज्य की मांग
के विरोध में
आ जाना।
बोडो समुदाय को दो
चरमपंथी गुट नेशनल
डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ
बोडोलैंड, एनडीएफबी वार्तापंथी और इसी
संगठन का वार्ताविरोधी गुट अलग बोडोलैंड राज्य की मांग
कर रहे हैं।
वहीं गैर बोडो
समुदायों के दो
संगठन गैर बोडो
सुरक्षा मंच और
अखिल बोडोलैंड मुस्लिम छात्र संघ
न केवल बोडोलैंड राज्य की मांग
का विरोध कर
रहे हैं बल्कि
उन गांवों को बीटीसी से बाहर करने
की मांग भी
कर रहे हैं
जिन में बोडो
समुदाय की आबादी
आधी से कम
है। गैर बोडो
सुरक्षा मंच मे
भी मुख्य रूप
से मुस्लिम समुदाय के कार्यकार्ता ही सक्रिय हैं। इन
मुस्लिमों में एक
बड़ी संख्या बांग्लादेशी मुस्लिमों की है।
गैर बोडो संगठन
अपनी मांगों के समर्थन में समय समय
पर प्रदर्शन और बंद
का आह्वाहन करते रहे
थे। 16 जुलाई
को भी इन्होंने गुवाहाटी में राजभवन के सामने प्रदर्शन किया था। इधर
बोडो संगठन भी
पिछले कुछ महीनों से सक्रिय हुए थे।
इन लोगों ने
रेलगाडियों को रोककर
यह बताने की
कोशिश की थी
कि बोडोलैंड राज्य की
मांग उन लोगों
ने अभी तक
छोड़ी नहीं है।
असम के जनजातीय इलाकों में ऐसा
पहले कभी नहीं
देखा गया कि
गैर जनजातीय समुदाय खुले रूप
से जनजातीय आबादी के
विरूद्ध मुखर हो
जाएं। इसकी शुरूआत हुई थी एक
अन्य इलाके में
जहां राभा जनजाति अपने लिए स्वायत्तता की मांग कर
रही है। वहां
रहने वाले विभिन्न गैर राभा समुदायों ने उनकी उक्त
मांग के विरोध
में आंदोलन छेड़ दिया।
इस तरह वहां
दो समुदायों के आमने
सामने आ खड़े
होने की यह
पहली घटना थी
और इसके कारण
वहां समय समय
पर हिंसा भी
फैलती रही है।
राज्य के पुलिस
महानिरीक्षक जे एन
चैधरी भी मानते
हैं कि ये
हिंसक घटनायें सांप्रदायिक नहीं हैं।
चैधरी ने कहा,
‘कोकराझाड़ और उसके
इर्द गिर्द हो
रही हिंसा धार्मिक न होकर जातीय
हिंसा है, जिसमें जातीय गुट शामिल
हैं।‘
पूर्वोत्तरवासियों का पलायन
पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों
पर हमले की
अफवाहों से देश
के विभिन्न राज्यों में रहने
वाले पूर्वोत्तरवासियों ने अपने
गृहनगर के लिए
लौटना शुरू कर
दिया है।
बेंगलूरू
बेंगलुरू में असम
के 4 लोगों पर
कुछ बदमाशों ने सोडे
की बोतल से
हमला किया। दूसरी
जगह पर मणिपुर के 3 लोगों को एक
बस स्टाॅप के पास
पीटा गया। तीसरे
हमले में सब्जी
खरीदने गए 23 साल के एक मणिपुरी युवक को पीटा
गया।
आग की तरह
फैल रही अफवाहों के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के लोग
इस कदर दहशत
में हैं कि
अब उन्हें अपने घर
लौटने की जल्दी
है। पूर्वोत्तर राज्यों की आरे
जाने वाली ट्रेनों में भारी भीड़
चल रही है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने आश्वासन दिया है कि
कर्नाटक में पूर्वोत्तर के लोग पूरी
तरह से महफूज
हैं। इस बीच
असम के कृषि
मंत्री नीलमणि सेन डेका
और परिवहन मंत्री चंदन ब्रह्मा हालात की समीक्षा के लिए बेंगलूरू पहुंचे। पूर्वोत्तर के लोगों
को स्टेशन पर संबोधित करते हुए ब्रह्मा ने कहा कि
लोगों को असम
लौटने की जरूरत
नहीं है क्योंकि कर्नाटक उनके गृह
राज्य से ज्यादा सुरक्षित है। बेंगलूरू में आरएएफ की
छह कंपनियां तैनात की
गयी हैं।
हैदराबाद
हैदराबाद से 1000 से ज्यादा लोगों के
वापस लौटने की
खबर है। हैदराबाद से सटे साइबराबाद में असम के
सिक्योरिटी गार्ड के
साथ मारपीट की गयी।
एक सिक्योरिटी एजेंसी के मालिक
ने कहा कि
500 गार्ड वापस लौट
गए हैं। इससे
पहले हैदराबाद में परीक्षा देने आए मणिपुर और अरूणाचल प्रदेष के 6
लड़कों को कुछ
स्थानीय लोगों ने
धमकी दी और
उन लड़कों को
वापस लौटना पड़ा।
राज्य के पुलिस
महानिदेषक वी दिनेष
रेड्डी ने कहा,
‘मैं असम की
जनता को उनकी
सुरक्षा के प्रति
आष्वस्त करता हूं।
उन्हें अफवाहों को लेकर
नहीं डरना चाहिए।‘
चेन्नई
चेन्नई से भी
पूर्वोत्तरवासियों का पलायन
हो रहा है।
गुवाहाटी जाने के
लिए इग्मोर रेलवे स्टेषन पर भारी भीड़
थी। हालांकि मुख्यमंत्री जयललिता ने आष्वासन देते हुए कहा,
‘सरकार देश के
तमाम हिस्सों से आकर
तमिलनाडु में रहने
वाले लोगों की
सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।‘
पुणे
पूणे में रहने
वाले छात्र अपने
घरों को लौट
रहे हैं। अभी
तक पुणे में
10 लोगों पर
हमले हुए हैं
जिसमें तीन लोगों
को गिरफ्तार किया गया
है। लोगों को
कथित तौर पर
ऐसी धमकियां मिली हैं
कि ईद के
बाद उत्तर पूर्व
के लोगों पर
हमले होंगे। पुणे पुलिस
ने अपील की
है कि छात्र
फेसबुक, ट्विटर की अफवाहों पर ध्यान न
दें।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुामा
स्वराज ने कहा
कि कुछ जगह
हिंसक घटनाएं हुई हैं
और कुछ जगह
अफवाहें फैलाकर पूर्वोत्तर के लोगों
को डराया जा
रहा है।
अफवाह के पीछे
पाकिस्तान
भारत ने कहा
है कि नाॅर्थ ईस्ट के लोगों
पर हमले की
अफवाहें फैलाने तथा मुस्लिमों को भड़काने के लिए
फर्जी एमएमएस वगैरह बनाकर
भेजने का काम
पाकिस्तान सीमा के
अंदर से किया
गया। केंद्रीय गृह सचिव
आर के सिंह
ने कहा, ‘हमारे पास इस बात
के ठोस सबूत
हैं कि सामूहिक एसएमएस और एमएमएस पाकिस्तान से भेजे
गए। प्राकृतिक आपदाओं में मारे
गए लोगों की
तस्वीरें
म्यांमार और असम
के दंगा पीड़ितों की तस्वीरें बताते हुए
भेजी गईं।‘ सिंह
ने कहा कुल
76 वेबसाइटों की पहचान
की गई जिन
पर तस्वीरों को छेड़छाड़ कर लगाया गया।
इन सभी वेबसाइटों को ब्लाॅक कर दिया
गया है। 34
और वेबसाइटों की पहचान
की गई है
और उन्हें भी जल्द
ही ब्लाॅक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि
‘हम पाकिस्तान के सामने
यह मसला उठाएंगे।‘
पाकिस्तान ने भारत
को भरोसा दिलाया है कि उसके
इस दावे पर
गौर किया जाएगा
कि पाकिस्तानी तत्वों ने सोशल
मीडिया के जरिए
अफवाह फैलाईए जिससे पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों
का देश के
अन्य हिस्सों से पलायन
हुआ लेकिन उन्होंने भारत से इसका
सबूत मांगा।
विरोध में उपद्रव
असम और म्यांमार में मुस्लिमों पर हुई
ज्यादतियों के विरोध
में देश के
कई हिस्सों में जमकर
उपद्रव हुआ। मुंबई
में विरोध प्रदर्शन में जमा लोगों
ने जहां पुलिस
और मीडिया पर हमला
किया वहीं उत्तर
प्रदेश में भी
अलविदा की नमाज
के बाद शान्ति भंग करने का
प्रयास किया गया।
लखनऊ
टीले वाली मस्जिद व आसफी इमामबाड़े में अलविदा की नमाज
के बाद कुछ
लोग असम हिंसा
का हवाला देते
हुए पास के
पक्का पुल पर
एकत्र हो गए।
उसमें से एक
युवक ने नारेबाजी शुरू कर दी
और एक हजार
से अधिक प्रदर्शनकारियों ने विधान भवन
की ओर कूच
कर दिया।
सबसे पहले इस
जत्थे ने गौतम
बुद्ध पार्क पर
हमला किया। इन
लोगों ने पार्क
की रेलिंग तोड़ी, कर्मचारियों और महिला गार्ड
को बुरी तरह
पीटा, महिला पर्यटक के कपड़े फाड़
दिए, गाड़ियों में आग
लगा दी, दुकानें लूट लीं, मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया। कन्वेंशन सेंटर, हाथी पार्क, शहीद स्मारक सब उपद्रव के शिकार हुए।
बसों व गाड़ियों में तोड़फोड की। यात्रियों और राहगीरों से बदसलूकी की। पुलिस पर
पथराव किया। मीडियाकर्मियों को पीटा और
उन पर धारदार हथियार से हमला
कर दिया। पीएसी
और आरएएफ के
जवानों ने पुलिस
के साथ मिलकर
उपद्रवियों को खदेडा
तो शहीद स्मारक होते हुए यह
जत्था विधान भवन
पहुंच गया। विधान
भवन के गेट
नं0 3 के सामने
हंगामा किया। अंत
में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने
के बाद स्थिति नियंत्रण में आयी।
बवाल करने वालों
के हाथों में
टेढ़ी सरिया, डंडे
व बांका था।
इससे साफ है
कि अलविदा की नमाज
से पहले ही
बवाल करने की
रणनीति बना ली
गई थी।
उधर हंगामा शांत होने
के बाद मीडियाकर्मियों ने हमले किए
जाने के विरोध
में हजरतगंज चैराहे पर जाम
लगाकर प्रदर्शन किया। प्रमुख सचिव गृह आरएन
श्रीवास्तव ने आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही का आश्वासन देकर मीडियाकर्मियों को शांत
कराया।
कानपुर
अलविदा की नमाज
के बाद कुछ
शरारती तत्वों ने परेड
और नई सड़क
पर जुलूस निकालने और दुकानें बंद कराने
की कोशिश की।
कुछ इलाकों में धार्मिक भावना उकसाने वाले पोस्टर और पर्चे बांटे
गए। कानुपर के इसके
बाद सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिसि बल तैनात कर
दिए गए हैं।
इलाहाबाद
अलविदा की नमाज
के बाद असम
हिंसा के विरोध
में जुलूस निकाल
रहे कुछ लोगों
को पुलिस ने
रोकने की कोशिश
की तो वे
उग्र हो गए।
जुलूस में शामिल
युवकों ने पथराव
शुरू कर दिया।
उपद्रवियों ने चौक
घंटाघर से लेकर
जानसेनगंज तक दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट की। इसी बीच
दूसरे गुट के
लोग भी सड़क
पर उतर आए
और दोनों गुटों
में जमकर पथराव
हुआ। महिलाओं से भी
छेड़खानी की गई।
घंटाघर पर दूसरे
दिन भी जमकर
बवाल हुआ। भीड़
ने पुलिस पर
पत्थरबाजी की। दहशत
फैलाने के लिए
बम फोड़े गए।
लोकनाथ चौराहे पर भी
टायर में आग
लगाकर विरोध जताया
गया। जवाब में
पुलिस ने भी
लाठीचार्ज किया।
कोतवाली क्षेत्र में लगाए
गए कर्फ्यू को खत्म
तो कर दिया
गया है लेकिन
दोनों समुदायों के बीच
तनाव बरकरार है।
अथ हैरी कथा
हैरी ने राज परिवार को जिस परेशानी में डाला है, उसके लिए उन्हें अपने पिता प्रिंस चाल्र्स और महारानी की फटकार भी सुननी पड़ी। उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा गया। हैरी को 2005 में भी सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी, जब वह एक नाजी ड्रेस में नजर आए थे।
फेसबुक से हटे
अपनी और न्यूड तस्वीरें सामने आ सकने की खबरों से बेहद डरे प्रिंस हैरी फेसबुक से हट गए हैं। वह फेसबुक पर नकली नाम स्पाइक वेल्स से मौजूद थे। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स स्थित सर रिचर्ड ब्रैनसन के प्राइवेट आइलैंड नेकर पर हैरी की मौज मस्ती की तस्वीरें एक अखबार को लीक होने के बाद उनका डर और भी बढ़ गया। ये तस्वीरें हैरी के एक दोस्त के फेसबुक पेज पर थीं।
सोशल नेटवर्किंग साइट के फैन हैरी के फेसबुक पर 400 के करीब दोस्त थे। सेफ्टी के लिहाज से हैरी का पेज अधिकतम सिक्योरिटी सेटिंग्स से कवर था। इस बीच, हैरी के दो करीबी दोस्तों, टाॅम स्किपी इन्स्किप और आर्थर लैंडन तथा हैरी की सुरक्षा में लगे स्काॅटलैंड यार्ड के एक सुरक्षाकर्मी ने भी अपने फेसबुक एकाउंट बंद कर दिए हैं।
पॉर्न फिल्म का ऑफर
प्रिंस हैरी को एक पॉर्न फिल्म में काम करने के लिए कथित तौर पर एक करोड़ डॉलर; करीब 55 करोड़ रुपए की पेशकश की गई है। टीएमजेड ऑनलाइन की खबर के मुताबिक 'द ट्रबल विद हैरी' नाम की एक अश्लील फिल्म में काम करने के लिए पेशकश की जा रही है। विविड इंटरटेनमेंट के स्टीव हिर्स ने लंदन स्थित राजभवन को एक लेटर भेजकर हैरी के लिए अपनी पूरी पेशकश का ब्योरा दिया है। स्टीव ने लिखा है, 'हम आपको यह भरोसा दिलाते हैं कि स्क्रिप्ट अच्छी तरह से लिखी जाएगी और किसी भी तरह राजसी गरिमा को कम नहीं किया जाएगा।'
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पिंकी: क्या क्या
न सहे हमने सितम
गिरफ्तारी के बाद निलंबित
कर दी गयी पिंकी प्रमाणिक को पूर्वी रेलवे ने नौकरी में बहाल कर दिया। प्रमाणिक को
सियालदह रेलवे स्टेशन पर बतौर टिकट इंस्पेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने को कहा
गया है। पिंकी को यह नौकरी खेल कोटा के तहत प्रदान की गयी थी।
पिंकी ने 2006 एशियाई खेलों
की चार गुणा 400 मीटर रिले में स्वर्ण और 2006 मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों में इसी
स्पर्धा में रजत पदक जीता था। एशियन इन्डोर गेम्स 2005 में स्वर्ण और सैफ गेम्स
2006 में तीन स्वर्ण पदक जीता। पिंकी ने तीन साल पहले एथलेटिक्स से सन्यास लिया था।
पश्चिम बंगाल के पुरूलिया
जिले के तिलकड़ी की रहने वाली पिंकी को 14 जून को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब उसके
साथ रह रही 30 वर्षीय महिला अनामिका ने उस पर पुरूष होने और उसके साथ बलात्कार करने
व प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। आरोप लगाने वाली महिला विधवा है।
25 दिन न्यायिक हिरासत में
रहने के बाद उत्तर 24 परगना जिले की बरासात अदालत ने उनको 10 जुलाई को पांच हजार के
निजी मुचलके पर जमानत दे दी। पिंकी के साथ ही उनके पैरेंट को भी अंतरिम जमानत मिल गयी।
अनामिका ने मां बाप के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई थी। 11 जुलाई को पिंकी को रिहा किया
गया।
पिंकी को यह जमानत उस चिकित्सीय
रपट के आधार पर मिली जिसमें कहा गया था कि वह बलात्कार करने में शारीरिक रूप से अक्षम
हैं। अदालत ने यह तर्क भी माना कि आरोप लगाने वाली महिला पिंकी के साथ तीन वर्षों से
रह रही थी।
गिरफ्तारी से रिहाई तक कई
बार पिंकी की मेडिकल जांच की गयी। गिरफ्तारी के तुरन्त बाद पिंकी का एक निजी नर्सिंग
होम में चेकअप कराया गया, जिसमें उसे पुरूष घोषित कर दिया गया। नर्सिंग होम की यह रिपोर्ट
मान्य नहीं थी इसलिए उसे सरकारी अस्पताल में जांच के लिए ले जाया गया। बारासात सदर
अस्पताल की सात सदस्यीय मेडिकल टीम तीन घंटे तक जांच करने के बाद भी लिंग निर्धारण
को लेकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। अतः हार्मोन, क्रोमोजोम आदि के परीक्षण के
लिए उसे एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया था। जहां उसकी जांच के लिए 11 चिकित्सकों का
दल गठित किया गया था। यहां की मेडिकल जांच में पिंकी को ’थर्ड सेक्स’ करार दिया गया
है। सामान्य मर्दों में पाए जाने वाला एक्स और वाई कैरियोटाइप पिंकी में भी पाया गया
है। इस पूरे मामले में डाॅक्टरों का कहना है कि साइंस हर चीज को साफ नहीं कर सकता है।
अगर विशेषज्ञों की मानें तो आनुवंशिक कारण से भी दोहरे सेक्सुअल गुण हो सकते हैं। इस
मसले पर पीटी ऊषा ने कहा कि पिंकी को खेल छोड़े तीन साल हो चुके हैं, इस बीच शरीर में
किसी भी तरह का परिवर्तन गलत नहीं होगा।
रिहा होने के बाद पिंकी ने
मीडिया से कहा कि उन्हें बलात्कार के आरोप में गलत ढंग से फंसाया गया था। प्रमाणिक
से जब यह पूछा गया कि क्या वह मानहानि का मुकदमा दर्ज करेंगी तो पिंकी ने बताया कि
वह अपने वकील से सलाह मशविरा करेंगी।
पश्चिम बंगाल महिला आयोग
की अध्यक्ष सुनंदा मुखर्जी का कहना था कि बगैर किसी महिला पुलिस के कैद में ले जाना
और उन्हें पुरूष मानना उनके मानवाधिकार का उल्लंघन है। मानवाधिकार संगठनों और गैर सरकारी
संगठनों ने आगे आकर कहा था कि जांच में दोषी जाये जाने से पहले पिंकी के साथ कोई गलत
व्यवहार न किया जाए। पिंकी पुरूष है यह साबित न होने पर भी उसके साथ हिरासत में पुरूषों
जैसा व्यवहार किया जा रहा था। पिंकी जब भी मीडिया के सामने आती थी तो वह पुरूष पुलिसकर्मियों
से घिरी रहती थी। पिंकी ने भी अपने एक बयान में कहा था कि इन दिनों उनको जितना अपमान
झेलना पड़ा उतना उन्होंने जिंदगी में नही सहा।
यही नहीं पिंकी प्रमाणिक
के लिंग परीक्षण का वीडियो इंटरनेट पर लीक हो गया था। प्राइवेट नर्सिंग रूम में बनाए
गए 29 सेकेंड के इस वीडियो में लिंग परीक्षण के लिए गयी पिंकी बिना कपड़ों के दिखाई
दे रही है। पिंकी के वकील तुहिन राॅय ने कहा कि जिस किसी ने यह वीडियो बनाया है उसे
फौरन गिरफ्तार किया जाना चाहिए। लिंग परीक्षण के दौरान वीडियो बनाने की बात पूछे जाने
पर पिंकी की आंखों से दर्द छलक गया। पिंकी ने अपनी लिंग जांच की नग्न वीडियो क्लिप
बनाए जाने और उसे सर्कुलेट करने को सोची समझी साजिश का नतीजा बताया। पिंकी ने आरोप
लगाया है कि जेल में उसके साथ जानवरों से भी बुरा बर्ताव किया गया। लिंग परीक्षण के
दौरान उसके हाथ पैर बांध दिए गए थे और टेस्ट के दौरान उसके शरीर को कष्ट दिया गया।
पिंकी ने आरोप लगाया कि उसकी
रूममेट ने ब्लैकमेल करने के लिए तस्वीरों का इस्तेमाल किया और उसे झूठे केस में फंसाया
है। पिंकी ने कहा कि वह जेल में बिताए दिन कभी नहीं भूलेगी। पिंकी ने कहा कि सीतामाई
को भी अग्नि परीक्षा देनी पडी थी इसलिए मुझे भी लगा कि मैं भी अग्नि परीक्षा से गुजर
रही हूं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा कि उनके साथ जो बर्ताव
हुआ उसे न्याय संगत नहीं ठहराया जा सकता।
मामला यहीं नहीं थमा। जेल से रिहा होने के बाद पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री
मदन मित्रा ने पिंकी पर राज्य सरकार की जमीन को गलत तरीके से बेचने का आरोप लगाया है।
मंत्री के आरोप के अनुसार पिंकी ने कोलकाता के दक्षिण पूर्व हिस्से की तीन कट्टा जमीन
अवतार सिंह के हाथों बेच दी है। 2006 में तत्कालीन सरकार ने तीन गोल्ड मेडल जीतने पर
स्पोर्टस कोटे से यह प्लाॅट पिंकी को दिया था। प्लाॅट की मौजूदा कीमत करीब दो करोड
रूपए है। पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार ने प्लाॅट मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
गौरतलब है कि अवतार सिंह एक हिस्टीशीटर हैं जो अपने होटल में सेक्स रैकेट चलाने के
आरोप में जेल में हैं।
इस आरोप पर पिंकी का जवाब
था कि वहं उस जमीन पर एक घर बना रही है। उसने जमीन बेची नहीं है और न ही बेचेगी।
कहानी में ट्विस्ट यह कि
अब अनामिका अपने बयान से पलट गई है। उसने यूटर्न लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की सिलेब्रिटी
एथलीट और सीपीएम की भूतपूर्व एमपी ज्योर्तिमय सिकदर के पति अवतार सिंह के कहने पर पिंकी
पर आरोप लगाया था। उसने बताया कि अवतार सिंह और पिंकी के बीच जमीन विवाद चल रहा है।
इसी जमीनी विवाद के कारण पिंकी को बदनाम करने की कोशिश की गयी। इस संबंध में उसने अपने
और अवतार सिंह के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का टेप भी दिया है। उसने बताया कि अवतार
यहां एक बिल्डिंग बनाना चाहता था। उसने कहा कि सिंह ने उनसे फोन पर कहा था कि वह पिंकी
पर बलात्कार का आरोप लगाए जिससे वह कहीं मुंह दिखाने के लायक न रहे। इससे साफ होने
लगा है कि पिंकी कांड पूरी प्लानिंग के साथ रचा गया था।
अवतार की पत्नी सिकदर ने
देश के सभी एथलीटों के साथ पिंकी की गिरफ्तारी का विरोध किया था। उन्होंने इस मामले
में अपने पति की संलिप्तता से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि ममता सरकार उनके पति
पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसाना चाहती है।
यह कहानी यहीं नहीं रूकी।
पिंकी प्रमाणिक ने खुद पर रेप करने का आरोप लगाने वाली अनामिका आचार्य के खिलाफ चोरी
करने और धमकी देने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। प्रमाणिक ने कहा कि घर वापस आने
पर उन्हें कई कीमती सामान गायब मिले। उनका कहना है कि जिस दौरान वह दमदम जेल में बंद
थी उस समय उसके तेघरिया स्थित फ्लैट की चाभी अनामिका के पास ही थी। गौरतलब है कि पिंकी
के रिहा होने के कुछ देर बाद अनामिका ने फ्लैट की चाभी पुलिस को सौंपी थी। पिंकी ने 15 जुलाई को पश्चिम बंगाल के 24 परगना
जिले के बगुतिया पुलिस थाने में फोन पर धमकियां मिलने की शिकायत की और पुलिस सुरक्षा
की मांग की।
पिंकी का मामला कोई पहला
मामला नहीं है इससे पहले भी ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं।
तमिलनाडु की महिला एथलीट सान्थी सौंदराजन के महिला होने पर विवाद हुआ
थ। इस मामले में सान्थी ने आत्महत्या भी कर ली थी। उसने दोहा में आयोजित 2006 एशियन
गेम्स की 800 मीटर दोड में रजत पदक जीता था। उसका लिंग परीक्षण कराने पर पता चला कि
सान्थी में एक महिला होने की पूरी विशेषताएं नहीं है। उससे रजत पदक छीन लिया गया जिससे
आहत होकर उसने सितंबर 2007 में आत्महत्या कर ली। दूसरी एथलीट दक्षिण अफ्रीका की कैस्टर
सेमेन्या थी जिस पर महिला न होने का आरोप लगाया गया था। जिसके कारण विश्व एथलेटिक्स
चैंपियनशिप में जीता गया स्वर्ण पदक छिन गया था। उसका भी लिंग परीक्षण कराया गया। काफी
उठा पटक के बाद एथलीट एसोसिएशन ने सेमेन्या को महिला टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की
अनुमति दे दी थी।
पिंकी पर आरोप लगाने वाली
महिला ने अपना आरोप वापस ले लिया है, पिंकी निर्दाष है। अब उसके ऊपर हुए मानसिक और
शारीरिक उत्पीड़न की भरपाई कौन करेगा? अब देखना यह है कि पिंकी पर झूठा आरोप लगाने और
उसका साथ देने वालों को क्या सजा दी जाती है?
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22 अप्रैल 2003 को घर में घुसकर कुछ युवकों ने उसके ऊपर तेजाब डाल दिया था। कुछ दिन पहले इन्हीं लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म भी किया था। तेजाब से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई और दाहिने कान से सुनाई देना भी बंद हो गया। पुश्तैनी जमीन से लेकर मां के जेवरात तक बेच डाले फिर भी इलाज के लिए पैसे कम पड़ गए। अब तक 22 सर्जरी हो चुकी हैं परन्तु जख्म भरने का नाम नहीं ले रहे हैं। घटना के वक्त सोनाली धनबाद महिला कालेज से समाजशास्त्र से आॅनर्स की पढ़ाई कर रही थी।
सभी आरोपी कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आजाद घूम रहे हैं। नौ साल से शरीर और मन के जख्मों के साथ जिंदगी से संघर्ष कर रही सोनाली कहती है कि उसने कई लोगों से मदद की गुहार लगाई पर हर जगह से सिर्फ आश्वासन मिला। शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा व मधु कोड़ा से वह मिल चुकी है लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। यही वजह है कि उसने राजधानी दिल्ली में आकर हुक्मरानों के दरवाजों पर दस्तक देकर गुहार लगाई है कि उसे या तो इलाज में मदद की जाए अथवा मौत दे दी जाए।
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